Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
उदासी - Krishna Tawakya Singh (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

उदासी

  • 133
  • 4 Min Read

उदासी
-------
अपनों से दूर हर तरह से मजबूर |
न कोई खोज खबर लेनेवाला
न कोई अपनी खबर देनेवाला
तब जो चेहरे पर घिर आती है
उसे ही शायद उदासी कहते हैं |
जब कोई अपना बिछड़ जाता है
एक सुनसान सी गली में
हमें छोड़ जाता है |
जब यादें ही सिर्फ रह जाती हैं
सताने के लिए
कोई राजी नहीं होता पास आने के लिए
हर तरफ असहमति के स्वर गूँजने लगते हैं
जब ढूँढ़ता रह जाता है मन उसे
जिससे अपने मन की बात कहे
और कोई नहीं मिलता सुननेवाला
तब जो चेहरे पर जो रेखाएं घिर आती हैं
शायद वहीं बतला जाता है
उदासी के चिह्न दिखला जाता है |
जब मिट जाती है आस
दुनियाँ से सराहना की
उत्साह दम तोड़ने लगता है
तब चेहरे पर जो भाव आता है |
शायद उसे उदासी कहते हैं |
जिस रोटी पर रात का साया पड़ गया हो
उसे ही वासी कहते हैं |

कृष्ण तवक्या सिंह
20.09.2020.

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg