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शून्य से शिखर तक - शशि कांत श्रीवास्तव श्रीवास्तव (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

शून्य से शिखर तक

  • 252
  • 3 Min Read

*शून्य_से_शिखर*
______________
शून्य से शिखर तक
सफर जारी है ,
संकल्प और इच्छा शक्ति की
उड़ान के संग ,
ये नीला व्योम है बादलों के संग
या ..,
नीला सागर जो ऊँची लहरों संग
पर्वत की ऊंचाई को नाप रहा है
शून्य से शिखर तक ,
चल पड़ा हूँ फतह करने को
उस ऊँचे पर्वत शिखर को
बुलंद हौसलों के संग
शून्य से शिखर तक ,
डिगा न सकेंगी हमें
ऊँचाइयां उसकी
डरा न सकेंगी हमें
ये सागर की लहरें
करके रहेंगे हम फतह
उस पर्वत की चोटी को
शून्य से शिखर तक का
सफर जारी है .... ||

शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी मोहाली ,पंजाब
©स्वरचित मौलिक रचना
18-09-2020

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 4 years ago

?

tripti srivastava

tripti srivastava 4 years ago

???

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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