कविताअतुकांत कविता
हिंदी मेरी पहचान
हिंदी है माथे की बिंदी
भारत मां की पहचान है
हिंदी के बिन सूना लगता
मेरा हिंदुस्तान है
सूर मीरा की पहचान है हिंदी
कैसे कान्हा माखन खाते
कैसे मीरा प्रीत निभाती
जनक नंदिनी की वरमाला
कैसे तुलसी हमें बताते
ढाई आखर प्रेम की बातें
कबीरा हमें सिखाते हैं
हिंदी सब भाषा का मूल है
भारतेंदु हमें बतलाते हैं
प्रताप नारायण मिश्र का नारा
हिंदी हिंदू हिंदुस्तान
नानक पंत कबीर की वाणी
सुनकर भारत बना महान
प्रसाद निराला दिनकर ने
हिंदी का परचम लहराया है
महादेवी की विरह वेदना
हिंदी हम तक पहुंचाया है
आओ मिलकर अलख जगाएं
हिंदी को जन-जन तक पहुंचाएं
हिंदी हम सब की पहचान है
हिंदी हमारी जान है
अंजनी त्रिपाठी
स्वरचित मौलिक
14/9/2020