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बस मुझेअच्छा लगता है - Ritu Garg (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

बस मुझेअच्छा लगता है

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#हिंदी दिवस

*बस* *मुझे* *अच्छा* *लगता* *है* ।

सुबह सवेरे जल्दी उठना,
उठकर थोड़ा योगा करना,
नित्य कर्म से निवृत्त होकर,
थोड़ा गुरु चरणों में बैठना।
बस मुझे अच्छा लगता है।

सद्गुणों संस्कारों का पनपना,
बुजुर्गों के चरणों में शीश झुकाना,
उनकी की थोड़ी सेवा करना,
नित्य सवेरे चाय बनाना ।
बस मुझे अच्छा लगता है।

देवालय की तरफ रुख़ करना,
भगवत भक्ति में लीन होना,
नित्य पूजन अर्चन करना,
धूप दीप नैवेद्य चढ़ाना।
बस मुझे अच्छा लगता है।

प्रेम मगन हो भक्ति में,
संगीत सुनना और गुनगुनाना,
नाश्ते की तैयारी करना,
फिर गाय को रोटी खिलाना।
बस मुझेअच्छा लगता है।

बच्चों का प्यार मुझे मिलता,
प्रेरित करता नए आयाम,
वात्सल्य मन में उमड़ता,
खिलखिलाता वह बचपन।
बस मुझे अच्छा लगता है।

रोम-रोम पुलकित हो उठता,
जब वह आलिंगन में भर लेते,
प्रेम सुधा का प्याला पीना,
मस्ती संग जीवन को जीना।
बस मुझे अच्छा लगता है।

जीवन को खुशहाली से जीना,
मन पर कोई बोझा ना रखना,
प्यार देना और सम्मान पाना,
जीवन को गतिमान बनाना,
बस मुझे अच्छा लगता है।
ऋतु गर्ग
स्वरचित,मौलिक रचना
सिलीगुड़ी,पश्चिम बंगाल

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