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Sahitya Arpan - MILAN UPADHYAY
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MILAN UPADHYAY

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  • अन्य

    तुमसे आगे कुछ नहीं

    • Added 1 month ago
    Read Now
    • 11
    • 1 Mins Read

    मैंने दिल तुमको दे दिया है अब मेरे वश में कुछ नहीं
    तुम्हीं संभालो इसे मेरे दस्तरस में कुछ नहीं
    बड़ा जिद्दी है तुम्हें पाने को मचल रहा था
    तुम्हीं आखरी जिद्द थीं इसकी
    तुमसे आगे कुछ नहीं

    तुमसे आगे कुछ नहीं ,<span>अन्य</span>
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    अन्य

    तुमसे आगे कुछ नहीं

    • Added 1 month ago
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    • 16
    • 1 Mins Read

    मैंने दिल तुमको दे दिया है अब मेरे वश में कुछ नहीं
    तुम्हीं संभालो इसे मेरे दस्तरस में कुछ नहीं
    बड़ा जिद्दी है तुम्हें पाने को मचल रहा था
    तुम्हीं आखरी जिद्द थीं इसकी
    तुमसे आगे कुछ नहीं

    तुमसे आगे कुछ नहीं ,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    तुमसे आगे कुछ नहीं

    • Added 1 month ago
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    मैंने दिल तुमको दे दिया है अब मेरे वश में कुछ नहीं
    तुम्हीं संभालो इसे मेरे दस्तरस में कुछ नहीं
    बड़ा जिद्दी है तुम्हें पाने को मचल रहा था
    तुम्हीं आखरी जिद्द थीं इसकी
    तुमसे आगे कुछ नहीं

    तुमसे आगे कुछ नहीं ,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    तुमसे आगे कुछ नहीं

    • Added 1 month ago
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    • 21
    • 1 Mins Read

    मैंने दिल तुमको दे दिया है अब मेरे वश में कुछ नहीं
    तुम्हीं संभालो इसे मेरे दस्तरस में कुछ नहीं
    बड़ा जिद्दी है तुम्हें पाने को मचल रहा था
    तुम्हीं आखरी जिद्द थीं इसकी
    तुमसे आगे कुछ नहीं

    तुमसे आगे कुछ नहीं ,<span>अन्य</span>
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