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Sahitya Arpan - Anurag Singh Anjaan
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Anurag Singh Anjaan

Writer's Pen Name not added

नाम - अनुराग सिंह "अंजान"
ज़िला - बाराबंकी
आईटी इंडस्ट्री
शौक _ लेखन, गाने सुनना , घूमना

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  • कवितानज़्म, लयबद्ध कविता, गजल

    धरती और आसमां की तरह

    • Added 1 year ago
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    • 81
    • 2 Mins Read

    धरती और आसमां की तरह..

    हम घर के बड़े थे जिम्मेदारी थी,
    हर एक खता पर डाँटे गए हम...

    बॉलीवुड फिल्म सा एक बॉयकॉट ट्रेंड पर,
    किसी सीन की तरह काटे गए हम...

    एक क्षितिज के जैसा था अपना मिलन,
    धरती और आसमां
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    धरती और आसमां की तरह,<span>नज़्म</span>, <span>लयबद्ध कविता</span>, <span>गजल</span>
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    कवितागजल

    मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी

    • Edited 3 years ago
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    • 171
    • 1 Mins Read

    तुमसे मिलने का इरादा नहीं था,
    किसी गैर से कोई वादा नहीं था।

    किसी और की आरजू क्या कर पाते,
    मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी।।


    ©Anurag Anjaan

    मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी,<span>गजल</span>
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    कविताअन्य

    तुम्हारा ज़िक्र

    • Edited 4 years ago
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    • 108
    • 1 Mins Read

    तुम्हारा ज़िक्र था या है खुदा जाने,
    तुम्हारा फ़िक्र था या है खुदा जाने,

    तमाम रात हिज़्र में तुम्हारे सोया नहीं,
    तुमसे इश्क़ था या है खुदा जाने।।

    ©अनुराग अंजान

    तुम्हारा ज़िक्र,<span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत सुंदर लाइन। इतना पढ़कर और ज्यादा पढने की जिज्ञासा हुई। अगली बार हमारी जिज्ञासा शांत करने के लिए आआपकी गजल बड़ी पोस्ट किजिएगा। इंतज़ार रहेगा

    Anurag Singh Anjaan3 years ago

    धन्यवाद जी जरूर