नाम - अनुराग सिंह "अंजान"
ज़िला - बाराबंकी
आईटी इंडस्ट्री
शौक _ लेखन, गाने सुनना , घूमना
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London is the capital city of England.
कवितानज़्म, लयबद्ध कविता, गजल
धरती और आसमां की तरह..
हम घर के बड़े थे जिम्मेदारी थी,
हर एक खता पर डाँटे गए हम...
बॉलीवुड फिल्म सा एक बॉयकॉट ट्रेंड पर,
किसी सीन की तरह काटे गए हम...
एक क्षितिज के जैसा था अपना मिलन,
धरती और आसमां
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कवितागजल
तुमसे मिलने का इरादा नहीं था,
किसी गैर से कोई वादा नहीं था।
किसी और की आरजू क्या कर पाते,
मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी।।
©Anurag Anjaan
कविताअन्य
तुम्हारा ज़िक्र था या है खुदा जाने,
तुम्हारा फ़िक्र था या है खुदा जाने,
तमाम रात हिज़्र में तुम्हारे सोया नहीं,
तुमसे इश्क़ था या है खुदा जाने।।
©अनुराग अंजान
बहुत सुंदर लाइन। इतना पढ़कर और ज्यादा पढने की जिज्ञासा हुई। अगली बार हमारी जिज्ञासा शांत करने के लिए आआपकी गजल बड़ी पोस्ट किजिएगा। इंतज़ार रहेगा
धन्यवाद जी जरूर