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कवितानज़्म
इन्सान की रगों में खून काला बहने लगा है भाई को भाई आजकल साला कहने लगा है अमीरजादों की ठोकरों में 'बशर' आज-कल मुफ़लिसों के बच्चों का निवला रहने लगा है @ "बशर"