कविताअतुकांत कविता
शीर्षक - पार्थ तुम्हें भी बनना होगा
कविता - माधव रूपी ईश्वर को सारा संसार पाना चाह रहा है, पर क्या ईश्वर को यूं ही पाया जा सकता है?
पावन ना हो जब चित ही तेरा, तो क्या माधव को हृदय में बसाया जा सकता है?
संसार समझ ले शत शत सत्य कथन है जो, पावन प्रेम से मन भी पावन करना होगा।
माधव को अगर पाना है तो पार्थ तुम्हें भी बनना होगा।।
भूल कर कर्म फल की चिंता, निश्वार्थ कर्म तुम्हें करना होगा।
दंभ, द्वेष, दुर्भाव हर पल मानव मन में पलते रहते हैं,
क्रोध, घृणा और ईर्ष्या से भी प्राणी मन ही मन जलते रहते हैं।
और माया मोह भी बनकर छलिया व्यक्ति को छलते रहते हैं।
किंतु माधव मतलब मोह नहीं हैं, माधव तो मोक्ष का द्वार हैं...
सार हैं माधव जीवन का....
सार हैं माधव जीवन का और माधव ही तो उद्धार हैं।
और उद्धार स्वयं का करना है तो धर्म राह पर चलना होगा।
माधव को अगर पाना है तो पार्थ तुम्हें भी बनना होगा।
भूल कर कर्म फल की चिंता, निश्वार्थ कर्म तुम्हें करना होगा।
मांगोगे नारायणी सेना (संसार की मोहमाया) तो, एक दिन तुम भी हार जाओगे।
किंतु जब मांग लोगे नारायण (कर्मपथ) को, तब निश्चित ही तुम जीत पाओगे।।
आसान नहीं है मार्ग धर्म का, उस पर चलते व्यक्ति को संसार गलत ठहराता है।
किंतु जब श्रद्धा सच्ची जब होती है तो, व्यक्ति का मन ही माधव बन जाता है।
और संसार कहेगा गलत तुम्हें भी, किंतु हृदय बसे गोविंद को तुम्हें सुनना होगा।
माधव को अगर पाना है तो पार्थ तुम्हें भी बनना होगा।
भूल कर कर्मफल की चिंता निश्वार्थ कर्म तुम्हें भी करना होगा।।
तज कर सारी सुख सुविधाएं, भूल कर सारी दुःख दुविधाएं.....
शस्त्र उठा कर अपनों पर भी, तुम्हें धर्म राह पर कर्म सदा करना होगा।
माधव को अगर पाना है तो पार्थ तुम्हें भी बनना होगा।
भूल कर कर्मफल की चिंता निश्वार्थ कर्म तुम्हें करना होगा।।
जय श्री कृष्ण 🙏🏻