कविताअतुकांत कविता
मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ।।
मैं देवनागरी लिपि हूँ,, मैं ही संस्कृत हूँ,,
मैं कही वर्ण, तो कही शब्द हूँ,,
मैं ही संज्ञा, सर्वनाम हूँ,, मैं अलंकार हूँ,,
मैं शक्ति मै ही भक्ति हूँ,,
मैं कही चाँद बिन्दु तो कही मैं बिन्दी हूँ,,
मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ।।
पहचान हूँ मैं हर एक हिन्दुस्तानी की,,
जान हूँ मैं हर एक हिन्दुस्तानी की,,
हूँ राष्ट्रीय मातृभाषा हिन्दुस्तान की,,
मैं एक आवाज हूँ गूँगे की,,
मैं एक आगाज हूँ बच्चे के बोलने की,,
मैं हर एक हिन्दुस्तानी की जिन्दगी हूँ,,
मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ।।
माँ का दर्जा दिया है जाता,,
सबसे पहले नाम लिया है जाता,,
मुझे बोलकर सीख कर ही,
तू हिन्दुस्तानी है कहलाता है,,
मैं ही पंजाबी, मैं ही सिन्धी हूँ,,
मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ।।
अनिल धवन सिरसा
स्वयरचित एवं मौलिक रचना