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कवितानज़्म
हक़ीक़त तमाम अहबाब रिश्तों नातों राब्तों की मुझको दिखाकर नबी ने कहा के बता मुझको "बशर" कौन है तेरा मेरे सिवा यहाँपर © "बशर" بَشَر 🍁