कविताअतुकांत कविता
कर लो कर्म अभी
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हमारा कार्य है
कर्म करना
कर्म वही जो
आत्मा को तृप्त करे
कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है
धर्म ही कर्म को
सही मार्गदर्शित करेगा
हम अपना कर्म करेंगे
धर्म की राह पर चलेंगे
भविष्य की चिंता में
अतीत के दामन में
वर्तमान को नष्ट नहीं करेंगे
अतीत हावी हो जाय
वर्तमान और भविष्य पर
ऐसा कार्य नहीं करेंगे
जो बीत गया
उसे बदल नहीं सकते
वे विवशता थी
या थी अनहोनी
वर्तमान भविष्य को
होना है अतितमय
कर लो कर्म अभी
हो जाए अतीत सुखमय
__ सोनम पुनीत दुबे