कविताअन्य
साहित्य अर्पण-एक पहल - अंतर्राष्ट्रीय मंच
विधा – मुक्त
विषय – महाशिवरात्रि
रचना – स्वरचित
कवि – सोनम पुनीत दुबे
दिनांक –9/3/2024
आज़ देवता नर नारायण
सृष्टि के जन जन
जीव जगत में
मची धूम
नाच रहे पिए भांग मस्त
भस्म की होली में
रंगे हुए संसार मस्त
ढोल नगाड़े बज रहे
डम डम डमरू की
ध्वनियाँ गूंज रही
घर घर हो रही जयकार
शिव लीला हर घर में
कहीं न कहीं चल रही
भांग धतूरा बिल्व पत्र
चढ़ा रहे जग जन
ओंकार मय हुआ जग
गूंज उठा हर तन मन में
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
हे मां पार्वती
शिव शंकर अर्धांगी
देना शुभ आशीष
सभी को
हर नर नारी को
पावन जोड़ी मिले
अर्धनारीश्वर की जोड़ी
का सबको आशीर्वाद मिले
स्त्री पुरूष का भेद मिटे जग से
रहे हर जोड़े मन से एक
हर जोड़ी को
आपके जैसा
साथी परिवार मिले
महादेव पार्वती का
जन जन को साथ मिले
महिला दिवस के अवसर पर
आया ये शुभ दिन
लाया है सौभाग्य
नर नारी दोनों के
हे देवियों जागो
ख़ुद की महिमा जानों
मां पार्वती को
जीवन में उतारो
अन्नपूर्णा है मां
ममतामई हैं
दुर्गा हैं काली है मां
हर परिस्थिति से
नहीं हारी है मां
वो मां है
मां हारती नहीं
सैयम का पर्वत है
मेरी भोली मां
हे नररूपी देवों
भोले बाबा जैसे
जीवन को समझो
जानो महत्व भोले भण्डारी का
प्रेम में प्रतीक्षा क्या होती है
प्रेम को तपस्या बनाया
नारी की महिमा क्या होती है
अर्धनारीश्वर बने
भोले बाबा से जानों
कितने भोले हैं शिव
कितने विकराल प्रचंड
देवों के देव हैं नहीं घमंड
मस्ती में चूर है
भस्म में विभोर है
कंद मूल भोजन है
साधारण जीवन
वैरागी हैं
शिव त्यागी हैं
भोले भंडारी
तीनों लोकों के
स्वामी हैं
अंतर्यामी हैं
शिव पार्वती
कैलाशी हैं
उनकी महिमा
सबने जानी है
___दुबे पुनीत सोनम