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कवितानज़्म
सागर के पानी को बादल बनना पड़ता है, बादल को पानी बनना पड़ता है बरसात के लिए! आलम-ए-बेकसी में बेख़ुद होना पड़ता है, खुदको खोना पड़ता है खुदसे मुलाक़ात के लिए! © dr.n.r.kaswan "bashar" 🍁