कवितालयबद्ध कविता
मैंने हिम्मत बहुत दिखाई है ,
जो कुछ पाया मेहनत की कमाई है।
कतरा-कतरा बिखरने की कोशिश,
ज़माने में कई अपनों ने लगाई है।
गिर पड़ोगी -सोच कर न घबराई हूं,
पांव से कमजोर रही, पर ताक़त हाथों की लाई हूं।
करना है, करूंगी जरूर, संकल्प कर आई हूं,
आलोचनाओं से हर दिन नया सीख पाई हूं।
सपने जो पीछे खो दिए थे मैंने,
हकीकत बनाने में कोशिश की है दिल से मैंने।
मन की आवाज मन तक पहुंचाना है,
लेखनी में खुद को शब्दों में पिरोना है।
अब मन के खिलाफ न सुनवाई है,
मैंने हिम्मत बहुत दिखाई है।