Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
बेटी - Nalini Tiwari (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बेटी

  • 64
  • 5 Min Read

बेटी ...पाप.. सौभाग्य ..श्राप..
ये सब तुम्हारे शब्द हैं ...
मैं तो अभी बनी भी नहीं..और इतनी अखर गई ...
माँ ...बाप...बाबा ...अम्मा..
ये सब तुम्हारे रिश्ते हैं...
मैं तो अभी अंधी हूं...और सबकी आँखें भर गई ...
अभी कल ही कुछ किरणें,झाँक कर गईं मुझे...
फिर सहलाते हाथों ने...न जाने क्यों थपेड़े मारे ...
अभी अभी ज़हर की बारिश,मुझपर लगातार हुई ...
मुझे भूख लगी थी माँ..
मैं सारे बूंद निगल गई ....
वो इस दुनिया से बेहतर,एक और दुनिया जानते हैं...
और मुझे तुम्हारे गर्भ से ही,वहीं स्वर्ग भेजना चाहते हैं...
इनके दर्शन न करूं तो ,स्वर्ग कहाँ नसीब होगा...
मैं इनके चरण छूने को
लो तुम्हारे लोक आ गई...
मुट्ठी बंद आँखें बंद ...रोती हुई आई हूं..
मेरे रोने से ही सब रो रहे हैं न??
मुझे चुप कराकर.. गोद में लेकर ..तुमसे दूर ..ये मेरे चिंतक ...
मुझे कहाँ ले जा रहें हैं माँ??
अरे हाँ!!!
इन सबके दर्शन करके मुझे स्वर्ग भी तो जाना है ।।।
लेकिन बहुत भूख लगी है माँ...
गला भी रो रो कर सूख गया है ...
रास्ते के लिए कुछ भिजवा दो ना माँ....

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg