कवितालयबद्ध कविता
"राहें और मंजिल"
हाथों की लकीर सी राहें,
नसीब सी मेरी मंज़िल...
उमड़ती काली बदरी सी राहें,
बरखा सी मेरी मंज़िल....
ख्यालों के सैलाब सी राहें ,
कविता सी मेरी मंज़िल...
खग के बिखरे तिनकों सी राहें,
नीड़ सी मेरी मंज़िल....
घड़ी की सुइयों सी राहें,
समय सी मेरी मंज़िल....
जीवन की भगदड़ सी राहें,
मौत सी मेरी मंज़िल....
नैनों की तलाश सी राहें,
"तुम" सी मेरी मंज़िल....