कविताअतुकांत कविता
जल चुकी चिता मगर ..अब भी है बाकी ..
साँसों का झुंड ,
आँखों की धुंध ,
और... राख का कुंड !!
अस्थि का ढेर ,
कर्मों का फ़ेर,
और... घनघोर अंधेर !!
काठ कालीख,
दुर्जन की सीख ,
और... अपनों की भीख !!
स्याही - दवात ,
डायरी की बात ,
और ...अल्फ़ाज़ों की जमात !!
अब भी है बाकी ,
हिसाब - किताब और कविता !!
अब भी है बाकी ,
सवाल - जवाब और विवाद !!
अब भी है बाकी ,
आना ,रहना और प्रस्थान !!
हाँ! अभी भी है बाकी ,
साँसों का झुंड ..आँखों का धुंध..और.. राख भरा कुंड।।