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प्रिया ब्हावरी - Moksha Patel (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

प्रिया ब्हावरी

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का करु में प्रीतमजी
समझ नहीं आवतजी
हिरनी बन मन वन वन भटके
प्यास लागी है बुझाओजी
चारो ओर बादल गरजे
डर मोहे लागत जी
दिल मेरा थर थर कांपे
एक याद तेरी ही आवत जी
क्यू चुपके से बैठे हो Dil के कोने मे
खोजे मन मे तेरी प्रिया ब्हावरी।

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