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कवितानज़्म
तू तू है मैं मैं हूँ येह मैं क्या है तू क्या है गर तेरा लहू लहू है तो मिरा लहू क्या है तेरी रगों में न मेरी रगों में बहता है पानी मेरी नहीं आबरू तो तेरी आबरू क्या है © dr.n.r.kaswan " bashar" 🍁