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शाम रहने दी ना सवेरा रहने दिया - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

शाम रहने दी ना सवेरा रहने दिया

  • 21
  • 1 Min Read

शाम ही रहने दी ना सवेरा ही रहने दिया
शब-ए-ग़म ने गोया अंधेरा ही रहने दिया

जिस सुकूने - क़ल्ब के तलबगार हम रहे
तेरा ही रहने दिया ना मेरा ही रहने दिया

© ✒️ डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर" 🍁

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