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लोग अपनी ज़रूरतों को याद रखते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

लोग अपनी ज़रूरतों को याद रखते हैं

  • 42
  • 1 Min Read

उम्मीद घरबार छोड़ने केभी बाद रखते है
कुछ और पाने की तुझ से मुराद रखते हैं

तुझ को यहाँ कौन याद रखता है "बशर"
ये लोग अपनी ज़रूरतों को याद रखते हैं

© "बशर"

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