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राब्तों में दम नहीं है - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

राब्तों में दम नहीं है

  • 92
  • 1 Min Read

माना कि इन राब्तों में "बशर" अब दम नहीं है
ये भी सच है कि दर्दे-रुस्वाई का मरहम नहीं है

सहते आये हैं और सह लेंगे सितम दिलबरी में
उफ़ करनेवालों में कहीं शुमार मग़र हम नहीं हैं

© dr. n. r. kaswan "bashar"🍁

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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ये ज़िन्दगी के रेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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वो चांद आज आना
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