कविताचौपाई
अंतस् में जब राम विराजे 🙏
मन की पीड़ा थाह न खोजें,
तन संयमित रोग न पोसें,
अंदर-बाहर पावन से होके,
राममय हो जब खुद को खोजें।
अंतस् में जब राम विराजे 🙏
मायने जीवन के समझकर,
सत्यकर्म करें समय खर्च कर,
पीड़ित देख मुख मोड़ न भागे,
रघुवीर सम पर दुःख अपना माने।
अंतस् में जब राम विराजे 🙏
मर्यादा हर युग में जरूरी,
प्रेम, निष्ठा, समर्पण जरूरी,
तभी तो मानव के भीतर भी,
प्रभु के सानिध्य दर्शन पाएंगे।
अंतस् में जब राम विराजे 🙏