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कवितानज़्म
इक आंख से बुलबुला क्या कुलबहर को देखे साहिल को या मझधार को या लहर को देखे ढलते हुए सूरज की पीताम्बरी शाम को देखे या उगते हुए सूरज की स्वर्णिम सहर को देखे @बशर