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कवितानज़्म
हिंदी में कह गया कि जुबान ए उर्दू में कह गया सुकून -ए -क़ल्ब वही था जो बिन कहे रह गया जज़्बात सुख़नवर के लबों पर आकर ठहर गए कहते - कहते सुख़न "बशर" कहने से रह गया © डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" *शुभ विश्व हिन्दी दिवस*