कविताअतुकांत कवितालयबद्ध कविता
शीर्षक-"बारिश की बूंदें" (कविता)
टिप-टिप करती हुई ये बारिश की बूंदें
लेकर आती नया पैगाम स्मरण कराती बचपन की यादें
मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू कराती है एक अलग ही अहसास
बारिश के बहते पानी में कागज की कश्ती चलाते दोस्तों की आस
बारिश ढेरों खुशियों के साथ मिटाए किसानों की चिंता
पतझड़ को भगा मुसलाधार प्रहारों से छाए सब तरफ हरियाली की छटा
रिमझिम फुहारों से मिले सुखे से निज़ात पहाड़ों में खिले फूल
बारिश की मोतीरूपी बूंदों का स्पर्श पाकर नाचते हुए कहता है मोर
हर परिवर्तित मौसम की तरह प्रत्येक स्थिति का खुशी से करना है स्वागत मचाते हुए शोर
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल