कविताअतुकांत कविता
हम उस देश के वासी हैं
जहाँ बेरोजगारों को रोजगार नहीं
जहां कामगारों को काम नहीं
जहां सिक्का चलता मंत्रियों का
हम उस देश के वासी हैं......
जहां बड़े-बड़े होते घोटाले हों
जहां निजीकरण का बोलबाला हो
जहां अमीरों की ही सुनती सरकार हो
हम उस देश के वासी हैं..........
जहां किसानों को फसलों का मिलता भाव नहीं
जहां कर्ज़ में डूबे किसान फाँसी झूलते दिखते हों
खराब हुई फसलों का मिलता नहीं मुआवजा हो
हम उस देश के वासी हैं...........
जहां अपनी बात कहने का हक नहीं
अपनी मांगों को मनवाने का हक नहीं
जहां पुलिस द्वारा लोगों पर लाठियां भांजी जाती हो
हम उस देश के वासी हैं..........
जहां बढ़ता भ्रष्टाचार,लूट,हत्या,डकैती ,दुराचार हो
जहां छोटी-छोटी बच्चियों का होता यौनाचार हो
जहां निश-दिन हो रहे बलात्कार हो
हम उस देश के वासी हैं.........!!
सन्दीप चौबारा
फतेहाबाद
१०/०९/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित