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हौसलें बुलंद हैं - Purnima Suman (Sahitya Arpan)

कविताछंद

हौसलें बुलंद हैं

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हम वो राही नहीं, जो बाधाओं से डर जाए,
वक्त के हर चाल का हल ढूंढ ही लाए।
बने हैं हम उस मिट्टी से जितना भी धुन जाए,
आंच पर पककर अपनी खनक दिखलाएं।
मन के तरकस में प्रेम और विश्वास की बाती है,
उम्मीद संग प्रयत्न और हौसलों की ज्योति है।
स्वच्छंद विचारों को व्यक्त करने से न डरूं,
उन्मुक्त खग की तरह उड़ान भरने से न डरूं।
अडिग अपने पथ पर कोई पत्थर न डिगा पाएं,
हौसलें है बुलंद ,राहें मंज़िल तक पहुंचाए।

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