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तेरी इक झलक पाने केलिए आतुर - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

तेरी इक झलक पाने केलिए आतुर

  • 94
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तेरी इक झलक पाने केलिए आतुर
कूचा -ए-सरबस्ता में आता है बशर

वगरना गलियां तो और भी बहुत हैं
आवारगी केलिए पड़ा है सारा शहर

© dr. n. r. kaswan "bashar"
Surrey/04/01/2024

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