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कवितानज़्म
माना कि हम सच और हक़ की सब बात करते हैं लोग यहाँ मग़र "बशर" सिर्फ़ मतलब की करते हैं पास-ए-अदब का न सलीका कोई हमको बतलाए गर्म मिज़ाज में भी नर्म लहजे में हम बात करते हैं © dr.n.r.kaswan "bashar" Surrey/09/01/2024