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हौंसले को समेट कर मेघ बन - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

हौंसले को समेट कर मेघ बन

  • 40
  • 2 Min Read

केवल रूदन से बदला
नहीं जग का इतिहास
कर्मवीरों ने बदले युग
के सभी ढर्रे सोल्लास
जो हालात के सामने
सहज घुटने देते हैं टेक
इतिहास उनके नाम को
देता कहीं हाशिए पे फेंक
जो हो रहा, होने दो भाव
से काटते हैं जो जिंदगानी
उन्हें कदम कदम पे झेलनी
पड़े यश और सम्मान हानि
रंगीन आसमान देता सदा
सबको खुलकर एक संदेश
हौंसले को समेट कर मेघ
बन कोई उसे सकता छेंक

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