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कवितानज़्म
किसीको भी डुबोने के अपने हुनर पर था बहुत गुमान उसे मिरे इल्म - ए -तैराकी का मग़र "बशर" न था अनुमान उसे हिम्मत ए मर्दा मदद ए खुदा साबित कर दिखाया हमने भी सांई जिसे बचाये उसे कोई न मार पाये होगई पहचान उसे डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"