कवितागजल
क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे
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क्या ? उनको भी कभी हम याद आते होंगे
क्या ? वो भी हमारी तरह बिखर जाते होंगे
कुबूल कर ली है जिनकी आस्ताँबोसी हमने
इश्क़ को हमारे क्या ? वो समझ पाते होंगे
खो जातें है जिनके अ़ालमे तसव्वुर में हम
क्या ? वो भी हमारी तरह ही खो जाते होंगे
दे गए जो दर्द का आबदंदाँ सजाकर हमको
निवाले खुशियों के क्या ? उनको भाते होंगे
गुजरती है आँसुओं के शामियाने में ही रातें
उनकी आँखों में भी क्या आँसू मंडराते होंगे
बिन जिनके आतशे-जाँसोज़ में जल रहे है हम
आज़र्दगी की पनाह में क्या वो भी जी पाते होंगे
सुख़नवर बना दिया जिनकी आँखों ने "अमोल"
ग़ज़ल हमारी क्या ? वो भी कभी गुनगुनाते होंगे
स्वलिखित तथा पूर्णतया मौलिक
सी यस बोहरा
"अमोल"
उर्दू शब्दों के हिंदी अर्थ :-
आस्ताँबोसी :- दासता
अ़ालमे तसव्वुर:- वह संसार जहाँ प्रेमी अपनी प्रेमिका के ध्यान में पहुँच जाता है
आबदंदाँ:- एक प्रकार का हलवा
आतशे -जाँसोज़:-प्रेमाग्नि, इश्क की आग
आज़र्दगी:- खिन्नता, उदासी; दु:ख,
सुख़नवर :- ग़ज़ल लिखनेवाला