कविताअतुकांत कविता
पर हमें भी लिखना है |
------------------------------
पहाँ सबकुछ लिखा जा चुका है
पर बाकी है
आपको अपने आपको
लिखने का
खुद को इन पन्नों पर
उतारने का |
सब कुछ लिखा गया
पर आपको तो कोई लिख नहीं पाया
जो बस आप और आप ही
लिख सकते हैं |
उन कोरे कागजों पर
संवयं का हस्ताक्षर बनकर
इन पन्नों पर उतकर
एक और जीवन के रहस्य
को दुनियाँ के सामने ला सकते हैं |
वह कोई और नहीं कर सकता
बस आप ही कर सकते हैं ,बस आप |
जो भी आए लिख गए
हमे और आपको भी लिखना है
इसी लेखनी से हमें
जीवन का ज्ञान सीखना है |
उठिए और लिख डालिए
अपनी कहानी
जो कभी न लिखी गयी है
न कभी लिखी जाएगी
आपके हस्ताक्षर
दुनियाँ कहाँ कर पाएगी |
कृष्ण तव्क्या सिंह
10.09.2020