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*शाद रहने केलिए नाशाद रहता है* - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

*शाद रहने केलिए नाशाद रहता है*

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*शाद रहने केलिए नाशाद रहता है*

रोज-ओ-शब बशर नई लिए हुए फ़रियाद रहता है
आबाद होने के लिए हर -शय किए बर्बाद रहता है
हसरतों का सिलसिला मसर्रतों केभी बाद रहता है
आदमजात हैके शाद रहने केलिए नाशाद रहता है

© "बशर"

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