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कवितानज़्म
*शाद रहने केलिए नाशाद रहता है* रोज-ओ-शब बशर नई लिए हुए फ़रियाद रहता है आबाद होने के लिए हर -शय किए बर्बाद रहता है हसरतों का सिलसिला मसर्रतों केभी बाद रहता है आदमजात हैके शाद रहने केलिए नाशाद रहता है © "बशर"