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कवितानज़्म
*चैनकी नींद सो जाता है* एक रोज वोह भी हो जाता है जिसका न होना भी सताता है रातोंको बशर सो नहीं पाता है वोह चैन की नींद सो जाता है ©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर" ०६/१२/२०२३