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कवितानज़्म
अपनों का हर मुमकिन ए'तिमाद करें एहतराम करें एहतिमाल न रहे कहीं बशर मुनासिब एहतिमाम करें ©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/२/१२/२०२३ ए'तिमाद= भरोसा, एहतराम = सम्मान एहतिमाम =तैयारी, एहतिमाल= शंका