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कवितानज़्म
ख़ूबसूरत हसीं झूठ है हयात तेरी बदसूरत सच्चाई है मौत तेरी बेशक हर किसीकी महबूबा है तू ऐय जिंदगी क़ज़ा है सौत तेरी ©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/२८/११/२०२३