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कविताअन्य
तुम्हारा ज़िक्र था या है खुदा जाने, तुम्हारा फ़िक्र था या है खुदा जाने, तमाम रात हिज़्र में तुम्हारे सोया नहीं, तुमसे इश्क़ था या है खुदा जाने।। ©अनुराग अंजान
बहुत सुंदर लाइन। इतना पढ़कर और ज्यादा पढने की जिज्ञासा हुई। अगली बार हमारी जिज्ञासा शांत करने के लिए आआपकी गजल बड़ी पोस्ट किजिएगा। इंतज़ार रहेगा
धन्यवाद जी जरूर