कवितानज़्म
*कलमदवात बदल जाते हैं*
बात बदल जाते हैं लोग यहाँ अपनी औक़ात बदल जाते हैं
वक़्त के साथ - साथ बशर अक़्सर हालात बदल जाते हैं
कोई दिलमें उतर जाता है तो कोई दिलसे ही उतर जाता है
हरपल रंग बदलती हयातमें दिलों के जज़्बात बदल जाते हैं
पूछो न सबब मुर्शिद मुसलसल बदलते मौसम ए हयात का
मन बलता है, नीयत बदती है तो अहसासात बदल जाते हैं
अंदाजे-बयाँ बदल जाता है जुबाँ के अल्फ़ाज बदल जाते हैं
सुख़न बदल जाता सुख़नवरों के कलमदवात बदल जाते हैं
©️ डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"/०४/१२/२०२३