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चाहत - Rachna Jha (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

चाहत

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चाहत(कविता)
बस चाहत की उम्मीद में बरसों गवां दिए,
जब होश आया तो तन्हाई थी,
इक रोशनी की किरण थी जेहन में,
शिद्दत से आस बंधी थी कि
जिन्हें चाहा वो रुसवा नहीं करेंगें,
लेकिन मुद्दत से की गई कोशिश,
हमें तन्हा छोड़ गई।
(कवयित्री: रचना झा)

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