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शर्माते हैं - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

शर्माते हैं

  • 36
  • 1 Min Read

जरा सच कहते हुए हम शर्माते हैं
हम लोग "बशर" उस मु'आशरे से आते हैं,

जहां छोटे घरों में बड़े कद वाले और
बड़े घरों में छोटे कद वाले लोग पाए जाते हैं!

©️डॉ.एन.आर. कस्वाँ "बशर"

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