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अधिकांश होते हैं गुमराह - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

अधिकांश होते हैं गुमराह

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आत्मा अजर अमर
बतलाते सभी पुराण
वो नित्य, निरंतर ईश
वश रहती है गतिमान
विधि के आदेश पर वो
धरे वसुधा पर कोई देह
नियत समय के बाद ही
वो बदल ले अपना गेह
परमात्मा से मिलन को
हर पल रहती बेकरार
इस सत्य को समझ के
करते ज्ञानी आत्मोद्धार
भव बंधन में फंस करके
अधिकांश होते हैं गुमराह
परमात्मा को छोड़कर वो
पालते भौतिकता की चाह
अपने मन में ईश्वर के प्रति
रखिए प्रबल श्रद्धा का भाव
वह ही दूर करेगा जीवन से
आपके सभी तरह के अभाव

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