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यादें तो यादें हैं - विनोद सिल्ला (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

यादें तो यादें हैं

  • 173
  • 2 Min Read

यादें तो यादें हैं

आ जाती हैं यादें
बे रोक-टोक
नहीं है इन पर
किसी का नियन्त्रण
नहीं होने देती
आने का आभास
आ जाती हैं
बिना किसी आहट के
दे जाती हैं
कभी गम का
तो कभी खुशी का
उपहार

जब भी
आती हैं यादें
स्मृतियों के
रंगमंच पर
चल पड़ता है
चलचित्र-सा
लौट आते हैं
पुराने दिन
पुराना समय
यादें तो यादें हैं

-विनोद सिल्ला©

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बेहतरीन यादें क्या है क्या अहमियत रखती हैं हमारे जीवन में बहुत ही सुंदर ढंग से बताया है आपने

विनोद सिल्ला4 years ago

धन्यवाद जी

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