कवितालयबद्ध कविता
दिलों के पास रहते हैं
हाय ! उसे दिलबर कहते हैं,
कोरोना में जो पूरा दिन घर का काम करें
ऐसे प्रिय को प्रियवर कहते हैं ,
झाड़ू , पोंछा, बर्तन ,खाना संग पकाते
उसे पति परमेश्वर करते हैं ,
बीवी का डर जब सर चढ़ बोले
उन्हें प्राण प्राणेश्वर कहतें है ,
ऐसे प्रीत के रंग में रंगे जानू को
नाथ नाथेश्वर कहते हैं ।।
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सुनीता जौहरी
वाराणसी
स्वरचित व मौलिक