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सुशब्द बनाते मित्र बहुत - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

सुशब्द बनाते मित्र बहुत

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शब्द साक्षात ब्रह्म है
बता गए पुरखे, सयाने
शब्दों से ही निकले हर
संदेश का भिन्न मायने
परस्पर संचार में सदा
इनका एक खास महत्व
शब्दों से संगठन निखरें
बिखरें कुटुम्ब के सदस्य
सही शब्दों के चयन में
जो शख्स होता कुशल
पूरे जग के मनुष्यों संग
बनें उसके संबंध अटल
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
फैलाएं संबंधों का जाल
अपशब्दों से ही इंसानों
में बने दुश्मनी की दीवाल
मां वाणी से प्रार्थना निरंतर
कीजिए बिना किसी संकोच
सदा संतुलित रहे वाणी उससे
लगे नहीं किसी को खरोंच

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