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वोट की खातिर पखारें कदम - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

वोट की खातिर पखारें कदम

  • 24
  • 3 Min Read

माल ए मुफ्त, दिल ए बेरहम
वोट की खातिर पखारें कदम
कोष की चाबी वोटरों के हाथ
पर उनको ही रहे हैं ललचाय
उन्हें इल्म है कि कुछ तोहफों
से लेंगे लोक इच्छा को भरमाय
लोगों के दिल और दिमाग को
हैक करने को जारी ढेरों प्रयास
ईश्वर की कृपा से ही भारत को
मिलेगा विकास का आकाश
जब देश में 80 करोड़ लोग
राशन के लिए भी हलकान
ऐसे में भी आएदिन उत्सव
मनाते रहते राजनेता महान
ईश्वर मेरे देश के मतदाताओं
को दें सही निर्णय का विवेक
वो सही प्रतिनिधि का चुनाव कर
दूर करा सकें पीड़ाएं और क्लेश

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