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दोहरे मापदंड
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जब मोदी सरकार सत्ता में आयी तब कितने लेखक,एवं तथाकथित बुद्धिजीवियों को भारत रहने लायक नहीं लगने लगा था | उन्हें डर लगने लगा था अचानक भारत देश में | कई लोग तो देश छोड़कर जाने की बात करने लगे थे | उसी क्रम में कुछ महानुभाव जिन्हें पिछली सरकार ने पुरस्कारों से नवाजा था ,अपने पुरस्कार वापसी करने की घोषणा कर ,अपने पूर्व आका के प्रति कृतज्ञता जाहिर करने और मोदी सरकार का विरोध करने की ठानी | वे पुरस्कार राष्ट्र के द्वारा उन्हें प्रदान किए गए थे | तब उन्हें किसी ने राष्ट्रविरोधी नहीं कहा | विपक्ष के लोग मोदी सरकार पर फासीवादी होने का आरोप लगाते रहे और देश फासीवादी तंत्र में परिवर्तित हो गया | भारत जर्मनी हो गया और मोदी हिटलर हो गए | तब उन्हें किसी ने राष्ट्रविरोधी नहीं कहा |
आज कंगना राणावत ने यह कह दिया कि महाराष्ट्र का माहौल पाकिस्तान के कब्जेवाली कश्मीर जैसी है तो वह महाराष्ट्र विरोधी हो गयी | क्यों नहीं यह वहाँ के शासन तंत्र पर हमला मान रही महाअघाड़ी की सरकार | शिवसेना के नेता संजय राउत अपने को महाराष्ट्र मानने लगे हैं | और बोलने में एक महिला के उपर क्या टिप्पणी की जाए इस मर्यादा का भी ख्याल उन्हें नहीं रहा | श्रीमान शरद पवार इतने अनुभवी और वरिष्ट नेता होकर ,जिनकी पहचान महाराष्ट्र तक ही नहीं पूरे देश में है,और पूर्व में केंद्र में विभिन्न प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेवारी भी जिन्होंने संभाली है ,न जाने क्यों चुप हैं | कंगना राणावत ने तो मुंम्बई पुलिस ,प्रशासन ,माफिया गठजोड़ पर सवाल उठाए | और ये इसे महाराष्ट्र की अस्मिता से जोड़कर अपने को बचाना चाह रहे हैं और चर्चा का रूख मोड़ना चाहते हैं | कहीं इनके संबंध उन ड्रग माफिया और उन तमाम लोगों से तो नहीं जुड़े हैं जो समय समय पर मुंबई को दहलाते रहते हैं | सुशांत सिंह राजपूत हत्या केस में मुंबई पुलिस और प्रशासन की संदिग्ध भूमिका से पूरा देश वाकिफ है | जब एक एस.यी.रैंक के पुलिस अधिकारी को जाँच से रोकने के लिए क्वारेंटीन कर दिया जाता है | और सी.बी.आई.जाँच की सिफारिश करने में आनाकानी की जाती है |
लगातार धमकियों के बीच कँगना राणावत को वाई कैटेगिरी की सुरक्षा प्रदान कर केंद्र सरकार ने एक नागरिक के प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखायी है जो कोई भी सरकार कम ही दिखाती है | भले ही राजनीतिक नफे नुकसान को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया गया हो ,पर मेरी दृष्टि में यह सराहनीय कदम है | शिवसेना की सरकाार इतने पर मान नहीं रही है उसे अचानक कँगना राणावत के दफ्तर और घर के निर्माण भी गैर कानूनी लगने लगे हैं | और बीएमसी के अधिकारियों को उसे तोड़ने के लिए फिर से नाप जोख करवाए जाने लगे हैं |
जिसका कोई अधिकारिक आदेश तक नहीं दिया है इन्होंने | जब इंदिरा इज इंडिया नहीं हो पाया तो शिवसेना इज महाराष्ट्र नहीं हो सकता | चाहे शिवसेना कितना भी दंभ भरले महाराष्ट्र को अपनी जेब में रखने का | मुंबई क्या देश का कोई भी शहर या गाँव हर किसी का है | और मुंबई तो देश की आर्थिक राजधानी है जिसे पूरे देश ने बनाया है |
कृष्ण तवक्या सिंह
07.09.2020