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कवितानज़्म
*मुफ्त की शय* चैनो-अमन शांति-सुकूँ सब्रो-खुशी मुफ्तकी शय है नहीं मग़र "बशर" मयस्सर किसीको है, दुख-द्वेष कलह-क्लेश मर्जो-दर्द चाहता कोई नहीं अक़्सर सभी मग़र मयस्सर सभी को है! ©️डॉ.एन.आर.कस्वाँ "बशर"