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दृढ़ आत्मबल की दरकार - umesh shukla (Sahitya Arpan)

कवितागीत

दृढ़ आत्मबल की दरकार

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साहसी कदम उठाने को
दृढ़ आत्मबल की दरकार
निश्छल आत्मा ही धारण
करे ये पुण्य बल अपरंपार
अब दुनिया में व्यापक छल
फरेब और धोखे का व्यापार
दूर दूर तक कहीं नजर नहीं
आता मानवता का पैरोकार
हर एक महत्वपूर्ण किरदार में
दिखावे की चाह भरी बेशुमार
खुद की श्रेष्ठता की सनक में
वो सच से मुंह फेरते बार बार
रेत में गर्दन छिपाने से कहां
कब बची शुतुरमुर्ग की जान
इस सत्य तथ्य को जानकर
भी सत्ताधीश रहते हैं बदगुमां
हे ईश्वर मेरे देश के राजनेताओं
को दीजिए सन्मति का दान
साहसी, विवेकपूर्ण नीतियां
बनाकर करें जन कल्याण

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